सूक्ष्म जगत का दर्शन

स्थूल जगत जिसको हम देख सकते हैं पृथ्वीलोक पर रहने वाले प्राणी जिसको हम देख सकते हैं स्थूल जगत मे...

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ब्रम्हाण्ड की सैर

ब्रह्माण्ड सम्पूर्ण समय, अन्तरिक्ष और उसकी अन्तर्वस्तु को कहते हैं। ब्रह्माण्ड में सभी ग्रह, तारे, ...

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देव लोक का दर्शन

स्वर्ग लोक या देवलोक हिन्दू मान्यता के अनुसार ब्रह्माण्ड के उस स्थान को कहते हैं जहाँ हिन्दू देवी-देवताओं...

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वायु गमन

वायु गमन या वायु सिद्धि, या प्राण सिद्धि एक ऐसी अवस्था है जब कोई व्यक्ति केवल कुम्भक को आसानी से रोक सकता...

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अन्तःकरण में भ्रमण

अंतःकरण हिन्दू दर्शन में एक अवधारणा है, जो मन की समग्रता को संदर्भित करती है, जिसमें सोच क्षमता, मन...

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प्राण विखण्डन

हिन्दू दर्शन में जीवन शक्ति को प्राण कहा जाता है। इसे सूर्य से उत्पन्न और पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त शक्ति के रूप...

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परकाया प्रवेश

किसी व्यक्ति की आत्मा का किसी अन्य व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करना या कराना ही परकाया प्रवेशाया प्रवेश...


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आभामंडल का महत्व

औरा व्यक्ति के आभामंडल को कहते हैं। हर व्यक्ति का अपना एक प्रभाव होता है और उसमा का ...

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आस योग क्रिया का अनुभव

आस क्रिया योग क्या है

आस क्रिया योग आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का एक बहुत शक्तिशाली तरीका है आस क्रिया योग ऊर्जा और सांस नियंत्रण, या प्राणायाम की एक प्राचीन ध्याने में मदद कर सकता है।

आत्म साक्षात्कार से आनंदमय अनुभव होता है

आत्म साक्षात्कार या सेल्फ-रियलाइजेशन एक आनंदमय अनुभव होता है, जब आप अपने आत्मा को अनुभव करते हैं। इसके लिए निम्नलिखित कुछ विधियां है

आत्म साक्षात्कार का महत्व

हम अक्सर लोगों से सुनते हैं कि आत्मा ही परमात्मा है, किंतु आत्मानुभव और परमात्मा की अनुभूति का अनुभव आत्म साक्षात्कार से ही होता है। आत्म साक्षात्कार का मतलब होता है खुद को जानना, समझना और पहचानना। शांति आत्म साक्षात्कार की कुंजी है।

अलौकिक शक्तियां

हिन्दू धर्मग्रंथों में दो तरह की विद्याओं का उल्लेख किया गया है परा और अपरा। धर्म में उल्लेखित यह परा और अपरा ही लौकिक और पारलौकिक कहलाती है।

आत्म-साक्षात्कार का अर्थ

आत्म-साक्षात्कार का अर्थ है ईश्वर के सम्बन्ध में अपनी स्वाभाविक स्थिति को जानना। जीव (आत्मा) ईश्वर का अंश है और उसकी स्थिति ईश्वर की दिव्यसेवा करते रहना है। ब्रह्रा के साथ यह दिव्य सान्निध्य ही ब्रह्म-संस्पर्श कहलाता है।

मन की अनुभूति

योग में ध्यान की एकाग्रता आवश्यक होती है। व्यक्ति एकांत में बैठकर एकाग्र होकर आत्म चिंतन या आत्म साक्षात्कार करे इसका अर्थ है अपने मन से बात करना, मन से विमर्श करना आदि ।

मानव शरीर ऊर्जा का भंडार है

मानव शरीर ऊर्जा का भंडार है। इस ऊर्जा का उपयोग सद्‌कार्यों में करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। जरूरत सिर्फ उस ऊर्जा को जगाने तथा उसे सद्‌कार्यों में लगाने की है।

अदृश्य शक्तियों से बात करना

ब्रह्माण्ड में ईश्वर की अनन्त शक्तियाँ बिखरी हुई हैं. उनमें से जिन जीवनोपयोगी वस्तुओं की आवश्यकता होती है, उन्हें मनुष्य अपने प्रबल पुरुषार्थ द्वारा प्राप्त कर लेता है।

आस क्रिया योग यानी आत्म साक्षात्कार

ध्यान साधना कार्यक्रम

आस क्रिया योग का अनुभव

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पोस्ट्स

क्या आंतरिक शांति ही सर्वोत्तम विलासिता है?

जैसे एक हल्की धारा भूमि को पोषित करती है, वैसे ही ध्यान आत्मा को शांति और संतुलन से समृद्ध करता है।

क्या शांति नई विलासिता है?

जैसे एक शांत नदी जीवन को बनाए रखती है, वैसे ही ध्यान मस्तिष्क और आत्मा के लिए आवश्यक शांति प्रदान करता है।

ध्यान के असली विलासिता को खोजें

जैसे एक नदी पृथ्वी को जीवन देती है, वैसे ही ध्यान हमारे अस्तित्व को स्पष्टता और आंतरिक सामंजस्य से भर देता है।